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आज पर्यावरण को संरक्षण और संवर्धन की सबसे बड़ी चुनौती आवश्यकता है बृक्षारोपण

आज पर्यावरण को संरक्षण और संवर्धन की सबसे बड़ी चुनौती आवश्यकता है बृक्षारोपण

जनादेश 24न्यूज जांजगीर-चांपा । जनसंख्या में तेज गति से वृद्धि , बहुत ही तेजी से बढ़ती हुई औद्योगिक विकास, पेड़-पौधे का लगना कम, प्राकृतिक स्थलों का विनाश, गांव-गांव से लोगों का पलायन और अंधाधुंध विकास के कारण आज़ पर्यावरण का गंभीर संकट हो गया हैं जिसका दुष्परिणाम मनुष्य को नहीं बल्कि पशु-पक्षियों तथा जीव-जंतुओं को भी भोगना पड़ रहा हैं यह कहना हैं सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती मीनाक्षी-मोहन सोनी का ।

*आज़ पर्यावरण को संरक्षण और संवर्धन की सबसे बड़ी चुनौती।*

सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती मीनाक्षी-मोहन सोनी ने जनादेश 24न्यूज से सम्बद्ध शशिभूषण सोनी से चर्चा करते हुए कही कि आज पर्यावरण को सहेजने और संवर्धन के लिए सबसे बड़ी जरूरत है कि हम-सब अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाए और लोगों को लगाने के लिए प्रेरित करे। यदि हमने इस दिशा में कार्य-योजना बनाकर नही चले तो आने वाले समय में मनुष्य सहित जैव संपदा को बचाना मुश्किल हो जायेगा । आज़ ज़रुरत है कि हम गौ आधारित कृषि कार्य की शुरुआत फिर से करे । अपने क़ृषि काम में हमारे किसान भाई गाय का गोबर और गौमूत्र में धरती की घटती हुई प्राणशक्ति को हम फ़िर से वापस ला सकते हैं । आजकल धरती पर तेज़ी से बदलाव साफ़ दिखाई पड़ रही हैं।हम रसायनिक खाद पदार्थ का अपने क़ृषि काम मे कम से कम इस्तेमाल करे। देशी बीज, वानस्पतिक दवाएं इस समय आसानी से उपलब्ध हैं और साथ ही साथ कम लागत में गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए हम इसे प्राथमिकता से अपनाएं ।

*मां से जुड़ा हुआ हैं मेरी मायका ! जीवन में पहली बार बिना मां के तीज़ पर्व मना रही हूं ।

मां से जुड़ा हुआ हैं मायका ! यानी कि मां का घर ! इस संसार में मेरी मां श्रीमति श्यामा देवी नही हैं । ससुराल खरौद में नजदीक होने के कारण पिताजी जयराम सोनी से अक्सर मिलने जाती हूं ।

*मां आज़ भी हृदय की गहराइयों से जुड़ी हुई हैं।*

किसी भी विवाहित महिला के लिए मायका एक ऐसा शब्द हैं जो कि हृदय की गहराइयों से जुड़ी हुई हैं । जब भी मैं मां के घर जाती थी सबसे पहले मां से लगे लग जाती थी लेकिन आज़ मां नही हैं तो उसकी बहुत याद आ रही हैं । जब-जब मैं मां से मिलने शिवरीनारायण जाती थी तब-तब मां विदाई के वक्त ढ़ेर सारी सामग्री दे देती थी । रुंधे मन और गले लगकर मां से विदा लेती थी । मेरी मां को गुज़रे यघपि एक साल भी हुआ हैं लेकिन लगता हैं कि मैं कई वर्षों से मां से विलग हो गई हूं । मां की याद को चिरस्थाई बनाने उसके नाम से पौधारोपण की हूं , उक्ताशय के विचार मीनाक्षी सोनी ने कही।

*मां की याद में श्रीमद्भागवत कथा 27 अगस्त से 5 सितम्बर 2024 तक आयोजित हुआ ।*

श्रीमति मीनाक्षी-मोहन सोनी ने अपनी मां श्रीमति श्यामा देवी सोनी के वार्षिक श्राद्ध निमित्त श्रीमद्भागवत कथा महात्म्य का आयोजन 27 अगस्त से 05 सितम्बर 2024 तक श्रीश्याम भवन शिवरीनारायण जांजगीर-चांपा में किया गया था । इस अवसर पर व्यासपीठ पर विराजीत नवीनचंद्र शर्मा जी महाराज ने अपने प्रवचनों में लोगों को हर दिन देश में पर्यावरण संकट के भयावह दुष्परिणामों से अवगत कराया । महराज जी के आध्यात्मिक प्रवचनों का लाभ श्रद्धालु भक्तों ने लिया और पेड़-पौधे लगाने की ओर बढ़े । अन्न ब्रम्ह हैं और कृषि कार्य हमारी उपासना हैं । सशक्त और समृद्ध मानव जीवन के लिए हम-सब एक फ़िर कृषि कार्य की ओर लौटे तथा समाज और देश को समृद्ध बनाएं ।

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