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मनरेगा से बना गांव का पहला पशु शेड मनरेगा से बने पशुशेड में पशुपालन कर दुग्ध उत्पादन को बनाया यादव परिवार ने मुख्य व्यवसाय, प्रति माह हो रही 30 से 40 हजार रुपये की आय

मनरेगा से बना गांव का पहला पशु शेड मनरेगा से बने पशुशेड में पशुपालन कर दुग्ध उत्पादन को बनाया यादव परिवार ने मुख्य व्यवसाय, प्रति माह हो रही 30 से 40 हजार रुपये की आय

जांजगीर-चांपा 25 सितम्बर 2024/ श्री भागवत यादव का परिवार मिलकर अपनी निजी भूमि पर महात्मा गांधी नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से बनाए गए पशु शेड में मवेशियों का पालन करते हुए उनका दूध बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। आज उनके पास इतनी गाय हैं कि उनका पूरा परिवार इस व्यवसाय में लगा हुआ है, जिससे उन्हें प्रति माह 30 से 40 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। मनरेगा से गांव का पहला पशु शेड का निर्माण किया गया, जिससे यादव परिवार की दशा-दिशा में आये इस बदलाव को लेकर गाँव में सब उनकी तारीफ करते हैं और दूसरे पशुपालक भी उन्हें देखकर पशु शेड निर्माण को लेकर जागरूक हो रहे हैं।
जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ विकासखण्ड की ग्राम पंचायत बोड़सरा में श्री भागवत यादव अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती सतरूपा यादव के अलावा उनके एक बेटे और बहू नाती पोते रहते हैं। तीन बेटियों की वह शादी कर चुके हैं। उनके परिवार का भरण-पोषण लगभग 1.5 एकड़ की खेती एवं पशुओं पर निर्भर था, लेकिन पशुओं को रखने के लिए कोई पक्की छतयुक्त व्यवस्था नहीं थी, जिससे व्यवसायिक रुप से दूध उत्पादन का कार्य दूर की कौड़ी थी। ऐसे में ग्राम पंचायत की पहल पर उनके यहाँ महात्मा गांधी नरेगा से 1 लाख 9 हजार रुपये की स्वीकृति दी गई और इस राशि से पशु शेड का निर्माण हुआ।
श्रीमती सतरूपा यादव बताती हैं कि महात्मा गांधी नरेगा से बने पशु शेड में पशु पालन और दूध उत्पादन के कार्य से उन्हें जो आमदनी हुई, उससे उन्होंने स्वच्छ साफ सुथरे स्थान पर रखना शुरू कर दिया है, और कुछ और मवेशी भी खरीदे हैं। वह बताती हैं कि उनका पूरा परिवार मिलकर पारंपरिक रुप से पशुपालन का कार्य कर रहे है। दूध बेचने के अलावा पशुओं से जो गोबर मिलता है उसे खाद के रूप में उपयोग करते हुए खेती किसानी में उपयोग करते हैं। महात्मा गांधी नरेगा से मिले संसाधन से संबल पाकर उनका घर और बेहतर तरीके से चलने लगा है, अब पशुओं के बीमार होने का खतरा नहीं रहता है, पशुपालन विभाग के माध्यम से भी उन्होंने अपने पशुओं का टीकाकरण कराया। प्रति दिन दुग्ध का उत्पादन करते हुए उसे जांजगीर चांपा एवं गांव में बेचकर हर महीने लगभग 40 हजार रुपये की आमदनी हो रही है।
स/क्र

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