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दर्शनीय स्थल हैं सदर बाजार चांपा स्थित राधाकृष्ण मंदिर ! गत दिनों डॉ चरणदास महंत नेता प्रतिपक्ष छत्तीसगढ़ विधानसभा एवं उनकी अर्द्धांगिनी श्रीमति ज्योत्सना महंत सांसद कोरबा दर्शन-पूजन करने पहुंची थी

*दर्शनीय स्थल हैं सदर बाजार चांपा स्थित राधाकृष्ण मंदिर ! गत दिनों डॉ चरणदास महंत नेता प्रतिपक्ष छत्तीसगढ़ विधानसभा एवं उनकी अर्द्धांगिनी श्रीमति ज्योत्सना महंत सांसद कोरबा दर्शन-पूजन करने पहुंची थी ।*

*प्रातःकालीन राधा-कृष्ण मंदिर में किया गया श्रृंगार और शुभ मुहूर्त में आरती के साथ श्रद्धालु भक्तों के लिए दर्शन ।*

जनादेश 24न्यूज जांजगीर चांपा राधा बिना हैं किशन अधूरा ,छोड़ नही जाना छेड़ नही जाना राधा ! छोड़ नहीं जाना जय श्रीकृष्णा , राधा की पूजा अर्चना और श्री कृष्ण की भक्ति महान पर्व है राधा अष्टमी
राधा-कृष्ण ! एक ऐसा नाम जो दो होते हुए भी एक हैं । एक आत्मा दो-शरीर एक । कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण जी राधा को छोड़कर चले गए ? क्या आत्मा शरीर के बिना रह सकती हैं तो कृष्ण कैसे रह सकते हैं अपनी राधा के बिना ? जब मैं पहली बार परिवार सहित वृदांवन गया तब मूखर्तावश एक पंडित जी से भेंट-मुलाक़ात के दौरान पूछ बैठा । पंडित जी जब कृष्ण जी तो राधा को छोड़कर चले गए थे तब राधा का क्या हुआ ? पंडितजी बोले वो तो देवकीनंदन गए थे, यशोदानंदन तो यही थे । हमेशा राधा के पास, राधा के साथ उनकी बात कितनी सहज और गहरी हैं । राधाकृष्ण ना कभी अलग हुए ,ना हो सकते हैं राधे‌राधे
। धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक कार्यों में रुचि रखने वाले शशिभूषण सोनी ने बताया कि राधा अष्टमी तिथि तथा रिमझिम-रिमझिम बारिश में सदर बाजार ,चांपा स्थित श्रीराधा कृष्ण मंदिर दर्शन करने का सौभाग्य मिला, दर्शन-पूजन से मन प्रसन्न हो गया । इसी मंदिर में कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत तथा उनकी अर्द्धांगिनी श्रीमति ज्योत्सना महंत सांसद कोरबा भी पहुंचीं थी ।

*राधा जी की भक्ति-भाव और पूजा-अर्चना का पवित्र पर्व राधाष्टमी हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता हैंं ।*

भाद्रपद या भादो महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था । शुक्ल पक्ष की इसी तिथि को देवी श्रीराधा जी का जन्म हुआ था । इसलिए प्रत्येक वर्ष भादो महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को दुनियाभर में सनातन धर्मावलंबियों द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व और इसी महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता हैं । राधाष्टमी का यह परम पवित्र पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता हैं । इस वर्ष यह पर्व 11 सितंबर को नगर के ह्दय स्थल पर स्थित राधा कृष्ण मंदिर के साथ-साथ देव मंदिरों यथा,: जगन्नाथ स्वामी बड़े मठ मंदिर, हसदेव नदी के तट पर स्थित डोगाघाट हनुमान मंदिर, दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर परशुराम चौक पर में भी भक्ति-भाव से पूजा-अर्चना मनाया गया । शशिभूषण सोनी ने बताया कि
देवी श्रीराधा जी का जन्म बरसाने में हुआ था । वह बरसाने के गोप वृषभानु जी और गोपिका माता कीर्ति जी की सुपुत्री थी । राधाष्टमी का यह पर्व भारतवर्ष के विभिन्न भागों में तो मनाया ही जाता हैं , श्रीराधा जी की जन्म स्थली बरसाना, मथुरा और वृंदावन में यह पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं ।‌
सनातन धर्म के साधु, संत-महात्मा , प्रवचन कर्ता, धार्मिक एवं आध्यात्मिक गुरु आदि विशेष रूप से श्रीराधा जी की जयंती यानी राधाष्टमी का पर्व पूरी श्रद्धा तथा पवित्र मन और लगन के साथ मनाते हैं ।

*एक पौराणिक कथा दृष्टिव्य हैं ।*

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीहरि विष्णु के परमभक्त और अवतारी पुरुष देवर्षि नारद ने भगवान भोलेनाथ सदाशिव से पूछा था कि श्रीराधा देवी की वास्तविक पहचान क्या हैं । क्या वह माता लक्ष्मी की ही अवतार हैं या स्वयं महालक्ष्मी ही राधा रूप में प्रकट हुई हैं अथवा वह देव पत्नी, सरस्वती, अंतरंग विद्या, वैष्णवी प्रकृति, वेद कन्या, मुनि कन्या आदि में से कोई हैं । देवर्षि नारद के इस प्रश्न के उत्तर में भगवान भोलेनाथ शिवशंकर ने कहा कि किसी एक की बात क्या कहें, कोई भी उनकी शोभा के सामने नहीं ठहर सकती । इसलिए श्रीराधा जी के रूप, गुण और सुन्दरता का वर्णन किसी एक मुख से करने में तीनों लोकों में भी कोई समर्थ नहीं हैं । उनका रूप-माधुर्य जगत को मोहने वाले श्रीकृष्ण को भी मोहित करने वाली हैं ।
शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार भी श्रीराधा जी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-आराधना अधूरी ही रहती हैं । यहां तक कि श्रीराधा जी की पूजा-आराधना के बिना श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का भी पूरा फल प्राप्त नहीं होता हैं । इसलिए जो लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं, उन्हें श्रीराधा रानी के जन्मोत्सव यानी राधाष्टमी का व्रत भी अवश्य करना चाहिए।
,*आस्था और विश्वास ! राधा अष्टमी का व्रत करने से भगवान श्रीकृष्ण जी की कृपा मिलती हैं ।*
यहां पर आपको यह बताना लाजिमी हैं कि राधाष्टमी व्रत करने से श्रीराधा जी के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है । इस दिन व्रत रखकर विधिवत पूजा-आराधना करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है ।
*राधा रानी जी सर्व तीर्थ और ऐश्वर्य मयी देवी मानी जाती हैं ।*
शास्त्रों और पुराणों में कहा गया हैं कि श्रीराधा जी सर्व तीर्थ मयी एवं ऐश्वर्य दात्री देवी हैं । इनके भक्तों के घर में सदा ही लक्ष्मी जी का वास रहता हैं । जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से राधाष्टमी का व्रत करते हैं , उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं । जो मनुष्य श्रीराधा जी के नाम अथवा मंत्र का स्मरण एवं जाप करता है , वह धर्मार्थि बनता हैं । गौरतलब हैं कि इस वर्ष श्रीराधा रानी जी की पूजा-आराधना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 :03 बजें बजें से और दोपहर 01 32 बजें यानी कुल दो घंटे 29 मिनट तक हैं ।

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