नगर का एकमात्र उद्यान दुर्दशा का हुआ शिकार स्वामी विवेकानंद उद्यान बन गया हैं कचड़ा घर, देखरेख नहीं होने के कारण हालत एकदम खराब
नगर का एकमात्र उद्यान दुर्दशा का हुआ शिकार स्वामी विवेकानंद उद्यान बन गया हैं कचड़ा घर, देखरेख नहीं होने के कारण हालत एकदम खराब
फिसलपिट्टी फौहारे और झूले का केवल निशान ही दृष्टिगोचर हैं ।
जनादेश 24 न्यूज़ चांपा नगर के ह्दय स्थल और गौरव पथ पर करोड़ों रुपए की लागत से स्थानीय पालिका प्रशासन द्वारा संचालित स्वामी विवेकानंद उद्यान बदहाल स्थिति में आंसू बहा रहा हैं । समुचित देखभाल नहीं होने के कारण यह स्थल सायंकाल से देर रात तक असमाजिक तत्वों का अड्डा बन गया हैं । नव नियुक्त जांजगीर-चांपा कलेक्टर आकाश छिकारा द्वारा पिछले महीने स्थल का निरीक्षण किया था और उद्यान के रख-रखाव के
संबंध में दिशा-निर्देश भी दिया था लेकिन उनकी बात को भी अनसुनी कर दी गईं । नगर और आस-पास के नागरिकों और छोटे-बड़े बच्चों को मनोरंजन और खेलकूद के साथ सुबह-शाम टहलने के लिए झूले सहित अन्यान्न्य उपकरण लगाए गए थे लेकिन असामाजिक तत्वों द्वारा नष्ट या क्षतिग्रस्त कर दिया गया । यहां पर यह बताना लाजिमी हैं कि इस उद्यान को संचालित करने में नगर पालिका परिषद चांपा की भी विशेष अभिरुचि नहीं हैं ।नगर पालिका प्रशासन की उदासीनता और ढुलमुल रवैया के चलते गौरव पथ पर स्थित तथा बंधवा तालाब के समीप करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया विवेकानंद उद्यान अब कचड़ा घर में परिवर्तित हो रहा हैं। इसका सबसे मुख्य कारण उद्यान की अनदेखी ! असमाजिक तत्व का यह स्थल रैन-बसेरा बन गया हैं । यहां पर पीने-खाने वाले लोग काम हो जाने के बाद अपशिष्ट पदार्थ को यत्र-तत्र बिखर कर चलता बनते हैं ।
*प्रदेश पर्वावरण प्रकल्प प्रमुख नेहा अग्रवाल ने चिंता जताई ।*
प्रदेश पर्यावरण प्रकल्प प्रमुख एबीएमएमएस श्रीमति नेहा-अविनाश अग्रवाल ने भी विवेकानंद उद्यान का निरीक्षण कर चिंता व्यक्त की हैं । उन्होंने न्यूज़ क्रिएशन भिलाई से सम्बद्ध शशिभूषण सोनी तथा डॉ कुलवंत सिंह सलूजा से चर्चा करते हुए कही कि इस उद्यान के रख-रखाव की प्रशासन की बिल्कुल भी ध्यान नहीं हैं। उद्यान के अंदर और बाहर बड़ी तादाद में फेंके जाने वाले ढ़ेर में प्रतिदिन पालिथीन के कचड़े रहते हैं । उद्यान के अंदर जाने के बाद लोग चाट , पकोड़े, समोसे भजिया, पावभाजी और अन्यान्य खाद्य पदार्थ खाने के बाद कचरे के डिब्बे में ना डालकर अन्यत्र फेक देते हैं । अधिकांश ऐसी वस्तुएं होती हैं जिससे सड़न पैदा हो रही हैं। मेरी लोगों से यही निवेदन हैं कि यदि वस्तुएं आपके खाने योग्य नहीं हैं तो उन्हें कचरे के डिब्बे में भरकर डाले ।
*मनोरंजन से परिपूर्ण अब वह कहां नसीब ।*
विवेकानंद उद्यान में बच्चों बुजुर्ग महिला और आम नागरिकों के मनोरंजन के लिए वर्षों पूर्व स्थानीय पालिका प्रशासन द्वारा खेल और मनोरंजन से परिपूर्ण झूले सहित अन्यान्न्य उपकरण लगाए गए । सामान्य दिन के साथ साथ छुट्टियों में बच्चों की अच्छी खासी भीड़ उमड़ पड़ती थी लेकिन यत्र-तत्र कचड़ा और उद्यान की बदहाल स्थिति के कारण अब लोगों का यहां जाना एक चौथाई से भी कम हो गया हैं । पालिका परिषद के अध्यक्ष सहित जिम्मेदार पार्षद भी इसमें कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं । उद्यान की स्थिति के संबंध में जब अध्यक्ष और मुख्य नगर पालिका अधिकारी से डॉ कुलवंत सिंह सलूजा तथा शशिभूषण सोनी ने कई बार फोन काल किया तो सुनने की बातें तो दुर की बात मोबाईल रिसीव करना उचित नहीं समझा । पत्रकार बंधुओं की शिक़ायत या रिपोर्टिंग प्रकाशित-प्रसारित करने की दूर का बात चांपा के जिम्मेदार लोगों को भी इस उद्यान के रख-रखाव पर दिलचस्पी नहीं हैं ।
*अधिकारियों को काई लेना-देना नहीं हैं ।*
अधिकारी दफ्तर तक ही सीमित होकर रह गए हैं । नगर में लोगों के लिए बनाया गया, यह उद्यान आज़ अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा हैं । आपको बता दे कि स्वामी विवेकानंद की छोटी मूर्ति टूटने पर, उसके स्थान पर बड़ी मूर्ति का स्थापित किया गया, लेकिन टूटी हुई मूर्ति को उसी के पीछे जर्जर हालत में रखा गया हैं , जो घोर अपमान का विषय हैं ।
*उद्यान आने वाले बच्चों को अब झूला भी नसीब नहीं हो रहा।*
उद्यान के सब तरफ़ गंदगी का ढेर लगा हैं , ना ही लाइट की व्यवस्था हैं और ना ही बैठने के लिए कुर्सियां हैं , फव्वारा भी सालों से बंद पड़ा हुआ हैं और सबसे मजे की बातें फ़व्वारा संचालित मोटर भी ख़राब स्थिति में पड़ा हुआ हैं । गार्डन आने वाले बच्चों को मनोरंजन के लिए झूला भी नसीब नहीं हो रहा हैं, अव्यवस्था के चलते लोगों का यहां आना बंद सा हो गया हैं ।उल्लेखनीय हैं कि प्राकृतिक वातावरण, फ़व्वारों की सुंदरता, पेड़-पौधों से आच्छादित गार्डन की तरोताजी वादियां , ऐसा नजारा चांपा नगर के गार्डन में कभी आम हुआ करता था । आज यहां की स्थिति बदहाल हैं, हैरानी की बात तो यह हैं कि पार्क की खूबसूरती को शराब प्रेमी ही शौक़ीन लोग पूरा कर रहे हैं । अनदेखी से असामाजिक तत्वों और शराबियों का अड्डा बनता जा रहा हैं। गार्डन में जगह-जगह बोतलें , कचरा, प्लास्टिक बोतलें , पैकेट गवाही दे रहे हैं , यहां शराबियों का जमावड़ा लगा रहने से आम जन ने किनारा कर लिया हैं ।
*उद्यान में अवैध रूप से ग़लत काम शुरू हो गया हैं।*
बताया जा रहा हैं कि गार्डन में रात होते-होते ही बाहर से लड़कियों लाकर अवैध रूप से गलत काम और कई आपत्तिजनक सबूत भी देखा गया । इतना सब होने के बावजूद भी नगर पालिका अधिकारी आंख बंद कर बैठे हुए हैं , ऐसे में प्रतिदिन आने जाने वाले नगरवासियों की संख्या में भी कम होती नजर आ रही है, लोगों ने बताया कि नगर पालिका, प्रशासन के कर्मचारी नियुक्त किया हैं लेकिन इनके ध्यान नहीं देने से असामाजिक तत्वों पर लगाम नहीं लग रहा हैं, वहीं अधिकारी भी इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ कर बैठे हैं ।
*मनोरंजन के साधन, दीवारों पर उकेरे गए चित्र और मूर्तियां अब खंडहरों की शोभा बढ़ा रहे हैं ।*
यहां पर यह बताना लाजिमी हैं कि वर्षों पहले तक विवेकानंद उद्यान में मनोरंजन के साधन , दीवारों पर बनाए गए चित्र और कई मूर्ति भी टूट-फूट गए हैं , पहले छुट्टियों का मौसम में इस उद्यान में छोटे बच्चों की किलकारियां दूर-दूर तक सुनाई देती थी और अब यहां पर मनोरंजन के सभी साधन टूट-फूट कर बर्बाद हो गए हैं । यहां छोटे-छोटे बच्चों को मनोरंजन के लिए फिसल पट्टी , झूलें और स्थल को आकर्षित करने फ़व्वारे भी लगाए गए थे , यह सब महंगी साम्रगी टूट-फूट कर बिखर गई हैं ।
*मात्र दो कर्मचारी के भरोसे 99 एकड़ के उद्यान की देख-रेख कहां तक जायज ।*
कहने के लिए नगर पालिका चांपा के दो सफाई कर्मचारी को रजिस्टर में दर्ज करने लगाया गया लेकिन ये कर्मचारी कभी-कभार दिखाई पड़ते हैं । 99 एकड़ जमीन पर फैला उद्यान को दो सफाई कर्मचारी के भरोसे देख-रेख में फिलहाल छोड़ दिया गया हैं । सफाई व्यवस्था , बदहाल लोग दिन भर की भाग-दौड़ के बाद गार्डन में लोग ताजा हवा का आनंद लेने अपने बच्चों व परिवार के साथ आते हैं , मगर जब यहां जगह-जगह कूड़े के ढेर मिलते हैं, तो लोग नगर पालिका के उदासीन रवैए को लेकर अपनी नाराजगी भी जताते हैं । कचरों का ढ़ेर , दो सफाई कर्मचारी की तैनाती की गई हैं, लेकिन पार्क परिसर में जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर नगर पालिका के दावों की पोल खोल कर रख दिया हैं । इस उद्यान के जर्जर हालत के लिए हमारे सलवा जुडूम मीडिया के चीफ़ ने चांपा के नगर पालिका अधिकारी और नगर पालिका अध्यक्ष से बात करनी तो जवाब अब तक नही मिला
*अव्यवस्था से आने वाले समय में आक्रोश दिखाई पड़ सकता हैं ।*
कहा तो यहां तक जाता हैं कि करोड़ों रुपए खर्च किए इस उद्यान का निर्माण किया गया था । शाम की सुंदरता को बढ़ाने के उद्देश्य से स्थापित किए हैं , रंगीन फ़व्वारे अनदेखी के चलते गंदगी और कचरे के ढेर में तब्दील हो गए हैं , पार्क की सुंदरता को बढ़ावा देने के लिए वैसे तो कई प्रकार की प्रजातियों के पौधे लगाए हैं , लेकिन उचित देखभाल और पानी की कमी की वजह से मुरझा कर दम तोड़ते जा रहे हैं । अव्यवस्था से लोगों में आक्रोश, गार्डन के रखरखाव के प्रति भी नगर पालिका, प्रशासन गंभीर नहीं ले रहे हैं , इसके चलते गार्डन की सुंदरता खत्म होने जा रही हैं ।
*एक पेड़ मां के नाम के तहत् हर जगह वृक्षारोपण अभियान चला , लेकिन विवेकानंद उद्यान इससे रहा बिल्कुल अछूता ।*
वृक्षों की जब करेंगे रक्षा तभी बनेगा जीवन अच्छा। पेड़-पौधे मत करो नष्ट सांस लेने में होगा कष्ट जैसे नारे आजकल चारों तरफ गूंज रहा हैं । एक पेड़ मां के नाम गांव-गांव, शहर और महानगरों में किया जा रहा हैं । लेकिन इस उद्यान में सालों से कोई पौधारोपण भी नहीं किया गया हैं । दैनिक न्यूज़ क्रिएशन से सम्बद्ध शशिभूषण सोनी ने जब उद्यान पहुंची हुई महिलाओं से चर्चा की तब महिलाओं ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि उद्यान के भीतर बच्चों के लिए बनाए गए फिसल पट्टी जर्जर हो गई हैं , जो झूला हैं उसमें झूलने के लिए कुछ भी नहीं लगा हुआ हैं । यहां पर कीड़े-मकोड़े घूमते रहते हैं । पुरुष महिला और बच्चों ने भी इस एकमात्र उद्यान के रख-रखाव और बदहाली पर नाराज़गी जताई हैं ।