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जिम्मेदारो की लापरवाही की हद,, यूं ही छोड़ दिया टनो टन मालवा को नदी के घाट में जनता को रोजमर्रा के काम में बड़ी दिक्कत कोई सुध लेने वाला नही

जिम्मेदारो की लापरवाही की हद,, यूं ही छोड़ दिया टनो टन मालवा को नदी के घाट में जनता को रोजमर्रा के काम में बड़ी दिक्कत कोई सुध लेने वाला नही

जनादेश 24 न्यूज चांपा जिला उप मुख्यालय चांपा,,,, नगर नव निर्माण के काम में जनप्रतिनिधि से लेकर जिम्मेदार कर्मचारियों की सुपरविजन में भारी कमी का क्या नतीजा आम जनता को किस तरह से भुगतना पड़ता है इसका ताजा तरीन उदाहरण नगर के ऐतिहासिक स्थल डोंगा घाट के पचरी में जाकर देखा जा सकता है जहां कुछ माह पहले हसदेव नदी के सीन को चिर कर आडे तिरछे पाइपलाइन बिछाने के वास्ते यहां वहां को खोद कर सैकड़ो टन मलवा को पचरी में (घाट) यूं ही छोड़ दिया गया, जिसका नतीजा यह हो रहा है कि प्रतिदिन जिन लोगों नदी से वावस्ता है ऐसे लोगों को निस्तार करने में भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, यहां बताते चलें कि यह वही डोंगा घाट है जहां क्षेत्र के महा तपस्वी एवं संत तपसी बाबा का कर्म स्थली होने के कारणों से क्षेत्र वासियों का विश्वास सहित अटुट श्रद्धा कण-कण में बसा हुआ है,इसलिए नदी के अन्य घाट अथवा पचरी में प्रतिदिन स्नान ध्यान करने के बजाय डोंगा घाट के पचरी में लोगों का बेशुमार आस्था है, इन्हीं कारणों से स्त्री हो या पुरुष या फिर हो बच्चे घाट में पहुंच कर अपना रोजमर्रा के कार्य को संपन्न करते हैं,यह सब जानते समझते हुए भी नगर विकास के नाम पर अपनी पीठ थपथपाने वाले जनप्रतिनिधि से लेकर लोक निर्माण विभाग हो अथवा नगर पालिका के जिम्मेदार पदाधिकारी सहित कर्मचारियों की घोर लापरवाही के चलते अब तक सैकड़ों टन मलबे को यूं ही छोड़कर अपनी जिम्मेदारियां से इति श्री कर लेने वाले जिम्मेदार लोगों ने फिर कभी मुड़कर नहीं देखा कि आखिरकार नदी के पचरी में किस कदर अव्यवस्था सहित और असुविधा का आलम पसरा हुआ है, ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है कि आखिरकार यहां फैली हुई गंदगी एवं मिट्टी एवं भारी भरकम पत्थरों को उठाएगा कौन,,,,? ज्ञात हो कि इस नदी के घाट में सैकड़ो की संख्या में लोग प्रत्येक दिवस पहुंचते हैं यहां तक की देवांगन समाज सहित अन्य समुदाय के लोग किसी के देहांत होने के बाद लगातार 10 से 13 दिनों तक मृत आत्मा को जल श्रद्धांजलि सहित तर्पण देने के लिए देने के लिए जाना होता है, यहां विशेष उल्लेखनीय है कि इन दिनों हिंदू धर्मा नुसार पितर पक्ष का माशस चल रहा है जिसमें प्रतिदिन अपने पूर्वजों को तिलांजलि देने के लिए जाना होता है, लेकिन घाट में पसरी हुई गंदगी सहित सैकड़ो टन मलवा ने यहां आने जाने वालों को कई तरह से असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, जिन विभाग सहित लोगों का इस पसरी हुई गंदगी सहित और असुविधा से लेना देना है ऐसे लोगों की घोर लापरवाही के चलते नदी के घाट में जिस तरह से प्राकृतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है वह ना काबिले बर्दाश्त है,,,,,।
अब देखना होगा इस समाचार के हाईलाइट होने के बाद जिम्मेदारों के द्वारा क्या और कितना कदम उठाया जाता है, तब तक आम जनता को नदी के घाट में जाकर निस्तार करना मतलब असुविधा का प्रतिदिन सामना करना होगा,,,,।

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