ज़िला

शिक्षक सबसे बड़ा समाज सुधारक होता है जीवन में भी एक शिक्षक का विशेष भूमिका होताशिक्षक सबसे बड़ा समाज सुधारक होता है जीवन में भी एक शिक्षक का विशेष भूमिका होता है शिक्षक प्रकाश पुंज है शिक्षक समाज के प्रकाश स्तंभ अमृतलाल साहु शिक्षक

शिक्षक सबसे बड़ा समाज सुधारक होता है जीवन में भी एक शिक्षक का विशेष भूमिका होताशिक्षक सबसे बड़ा समाज सुधारक होता है जीवन में भी एक शिक्षक का विशेष भूमिका होता है शिक्षक प्रकाश पुंज है शिक्षक समाज के प्रकाश स्तंभ अमृतलाल साहु शिक्षक
************************
जांजगीर चांपा जीवन में शिक्षक का किरदार बहुत ही खास होता है, वह किसी के जीवन में उस बैकग्राउंड म्यूजिक की तरह होते हैं, जिनकी उपस्थिति मंच पर तो नहीं दिखती, परन्तु उसके होने से नाटक में जान आ जाती है। ठीक इसी प्रकार हमारे जीवन में एक शिक्षक की भी भूमिका होती है, चाहे हम जीवन के किसी भी पड़ाव में हों ,शिक्षक की आवश्यकता सबको पड़ती है। इसका कारण यह है कि शिक्षक सबसे बड़ा समाज सुधारक होता है, क्योंकि वह सुधार का सूत्रधार होता है। शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है, क्योंकि वह संस्कारों का निर्माण करता है। शिक्षक प्रकाश पुंज होता है ,क्योंकि वह भूले भटकों को राह दिखाता है ।शिक्षक एक सच्चा मित्र होता है ,क्योंकि वह विद्यार्थियों की भलाई के लिए काम करता है।
जीवन का मार्ग कठिन है, सत्य का विचार कठिन है।
पर जो हर हाल में, सत्य सिखाए।
वहीं एक सफल शिक्षक कहलाए।। हमारे देश में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की याद में और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को सम्मान देने के लिए शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वे एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे ।उन्हें अध्यापन से गहरा लगाव था। एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण उनमें विद्यमान थे। उनका मानना था कि एक शिक्षक सिर्फ कक्षा -कक्षा के अंदर तक ही शिक्षा प्रदान नहीं करता बल्कि एक शिक्षक का प्रभाव कक्षा की सीमाओं से कहीं आगे तक फैला होता है। वह अपने विद्यार्थियों के चरित्र और मूल्यों को आकार देते हैं। शिक्षक दिवस शिक्षकों के लिए एक शिक्षक के रूप में अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों पर आत्म चिंतन और मनन करने का दिन हो सकता है तथा विद्यार्थियों के लिए यह समझने का दिन हो सकता है कि ऐसे शिक्षकों का होना हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है, जो वास्तव में हमारी परवाह करते हैं, क्योंकि शिक्षक के बिना कोई भी समाज प्रगति नहीं कर सकता।
शिक्षक समाज के गुमनाम नायक होते हैं, जो अपने छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए लगातार काम करते रहते हैं। वे न केवल ज्ञान प्रदाता होते हैं,बल्कि मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत भी होते हैं। शिक्षक अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए समय, समर्पण और पूरा दिल लगा देते हैं। नई पीढ़ी को ज्ञान और आदर्शों के साथ जीवन जीने के लिए प्रेरणा रूपी संजीवनी शक्ति प्रदान करते हैं।
शिक्षक वह नींव है जिस पर समाज का निर्माण होता है। शिक्षक की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है, क्योंकि वे बौद्धिक और रचनात्मक दिमाग को आकार देने का काम करते हुए विद्यार्थियों के चरित्र को ढालने और मूल्यों को स्थापित करने में मदद करते हैं।
एक आदर्श नागरिक के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक सदैव अपने शिष्यों को सफल होने के लिए प्रेरित करते रहते हैं तथा उन्हें उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने और कभी भी हार न मानने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। इसी लिए कहा जाता है। —-
आत्म चिंतन करने का है यह दिवस महान।
भारत की संस्कृति कहती शिक्षकों का करो सम्मान।। है शिक्षक प्रकाश पुंज है शिक्षक समाज के प्रकाश स्तंभ अमृतलाल साहु शिक्षक
************************
जांजगीर चांपा जीवन में शिक्षक का किरदार बहुत ही खास होता है, वह किसी के जीवन में उस बैकग्राउंड म्यूजिक की तरह होते हैं, जिनकी उपस्थिति मंच पर तो नहीं दिखती, परन्तु उसके होने से नाटक में जान आ जाती है। ठीक इसी प्रकार हमारे जीवन में एक शिक्षक की भी भूमिका होती है, चाहे हम जीवन के किसी भी पड़ाव में हों ,शिक्षक की आवश्यकता सबको पड़ती है। इसका कारण यह है कि शिक्षक सबसे बड़ा समाज सुधारक होता है, क्योंकि वह सुधार का सूत्रधार होता है। शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है, क्योंकि वह संस्कारों का निर्माण करता है। शिक्षक प्रकाश पुंज होता है ,क्योंकि वह भूले भटकों को राह दिखाता है ।शिक्षक एक सच्चा मित्र होता है ,क्योंकि वह विद्यार्थियों की भलाई के लिए काम करता है।
जीवन का मार्ग कठिन है, सत्य का विचार कठिन है।
पर जो हर हाल में, सत्य सिखाए।
वहीं एक सफल शिक्षक कहलाए।। हमारे देश में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की याद में और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को सम्मान देने के लिए शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वे एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे ।उन्हें अध्यापन से गहरा लगाव था। एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण उनमें विद्यमान थे। उनका मानना था कि एक शिक्षक सिर्फ कक्षा -कक्षा के अंदर तक ही शिक्षा प्रदान नहीं करता बल्कि एक शिक्षक का प्रभाव कक्षा की सीमाओं से कहीं आगे तक फैला होता है। वह अपने विद्यार्थियों के चरित्र और मूल्यों को आकार देते हैं। शिक्षक दिवस शिक्षकों के लिए एक शिक्षक के रूप में अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों पर आत्म चिंतन और मनन करने का दिन हो सकता है तथा विद्यार्थियों के लिए यह समझने का दिन हो सकता है कि ऐसे शिक्षकों का होना हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है, जो वास्तव में हमारी परवाह करते हैं, क्योंकि शिक्षक के बिना कोई भी समाज प्रगति नहीं कर सकता।
शिक्षक समाज के गुमनाम नायक होते हैं, जो अपने छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए लगातार काम करते रहते हैं। वे न केवल ज्ञान प्रदाता होते हैं,बल्कि मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत भी होते हैं। शिक्षक अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए समय, समर्पण और पूरा दिल लगा देते हैं। नई पीढ़ी को ज्ञान और आदर्शों के साथ जीवन जीने के लिए प्रेरणा रूपी संजीवनी शक्ति प्रदान करते हैं।
शिक्षक वह नींव है जिस पर समाज का निर्माण होता है। शिक्षक की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है, क्योंकि वे बौद्धिक और रचनात्मक दिमाग को आकार देने का काम करते हुए विद्यार्थियों के चरित्र को ढालने और मूल्यों को स्थापित करने में मदद करते हैं।
एक आदर्श नागरिक के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक सदैव अपने शिष्यों को सफल होने के लिए प्रेरित करते रहते हैं तथा उन्हें उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने और कभी भी हार न मानने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। इसी लिए कहा जाता है। —-
आत्म चिंतन करने का है यह दिवस महान।
भारत की संस्कृति कहती शिक्षकों का करो सम्मान।।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *