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अगर पार्टी बदलती हैं मालीवाल तो क्या चली जाएगी सांसदी, जानें क्या है दल-बदल कानून?

राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के बीच रिश्ते बेहद नाजुक मोड़ पर पहुंच गए हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार पर मालीवाल के साथ मारपीट करने का आरोप है. बिभव कुमार गिरफ्तार हो चुके हैं. इस पूरे मामले के बाद मालीवाल को लेकर माहौल काफी गर्म है. मीडिया में तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. भाजपा उनके पक्ष में उतर गई है. वह इस बहाने लगातार आप पर हमलावर है. ऐसे में स्वाति मालीवाल के अगले कदम के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं. इसी साल जनवरी में राज्यसभा के लिए चुनी गई मालीवाल का आप के साथ रिश्ता अचानक क्यों खराब हो गया है? क्या वह आप छोड़कर कोई अन्य पार्टी ज्वाइन करेंगी? क्या अब स्वाति की राज्यसभा सदस्यता खत्म हो सकती है?

दरअसल, चुने हुए जनप्रतिनिधियों को लेकर देश के संविधान की 10वीं अनुसूची में विस्तार से चर्चा है. इसके मुताबिक एक जनप्रतिनिधि केवल दो परिस्थितियों में अयोग्य करार दिया जा सकता है. पहला- अगर वह स्वेच्छा से अपना पद छोड़ या इस्तीफा दे दे. दूसरा- सदन में पार्टी के निर्देश के खिलाफ जाकर वह वोटिंग करता है या फिर मतदान से नदारद रहता है. तब उसकी सदस्यता जा सकती है.

अहम प्राधवान
इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप स्वाति मालीवाल को पार्टी से निलंबित करती है तो भी वह राज्यसभा में पार्टी की सांसद बनी रहेंगी और उन्होंने सदन में पार्टी का निर्देश मानते रहना पड़ेगा. लेकिन, आप अगर उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर देती है तो वह स्वतः सदन में निर्दलीय सांसद बन जाएंगी और वह सदन में आप के किसी निर्देश को मानने के लिए बाध्य नहीं होंगी.

10वीं अनुसूची में दलबदल के आधार पर अयोग्य ठहराने के बारे में कहा गया है कि सदन के किसी सदस्य को तब अयोग्य करार दिया जाएगा जब वह स्वतः इस्तीफा दे दे या फिर वह पार्टी की ओर से जारी किसी निर्देश का उल्लंघन करते हुए वह पार्टी लाइन के खिलाफ सदन में वोटिंग करे या वोटिंग से अनुपस्थित रहे… तब उसकी सदस्यता खत्म की जा सकती है. इसके लिए पार्टी को अपने सदस्य के खिलाफ 15 दिनों के भीतर शिकायत करने की जरूरत होती है.

दूसरी पार्टी में जाने का क्या है विकल्प?
अभी तक की स्थिति में ऐसा नहीं लगता है कि आप स्वाति मालीवाल को न तो निलंबित करेगी और न ही बर्खास्त करेगी. इस कानून में आगे यह भी प्रावधान है कि अगर आप उन्हें बर्खास्त भी करती है तो स्वाति मालीवाल सांसद रहते वक्त तक किसी दल को ज्वाइन नहीं कर सकती हैं.

इस कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि अगर कोई सदस्य किसी दल की ओर से निर्वाचित हुआ है तो वह किसी दूसरे दल में शामिल होने के साथ अपनी सदस्यता गंवा देगा.

एक ऐसा ही केस पिछले दिनों देखने को मिला था. माकपा के राज्यसभा सदस्य रिताब्रत बनर्जी को हाल ही में पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था लेकिन वह अब भी एक निर्दलीय सदस्य हैं.

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