*सिद्धि बुद्धि समृद्धि शुद्धि का पर्व गणेश चतुर्थी- डॉ रविन्द्र द्विवेदी*
*सिद्धि बुद्धि समृद्धि शुद्धि का पर्व गणेश चतुर्थी- डॉ रविन्द्र द्विवेदी*
संपादक रामखिलावन यादव
जांजगीर चांपा गणेश चतुर्थी , भारत के सबसे प्रमुख और उत्साहपूर्ण पर्वों में से एक हैं । इस पर्व को हिन्दू धर्म में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता हैं । भगवान गणेश, जिन्हें “विघ्नहर्ता”, “बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता” के रूप में पूजा जाता हैं , का जन्मदिवस इसी दिन के रूप में मनाया जाता हैं । इस पर्व का पौराणिक, आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत गहरा और व्यापक हैं । गणेश चतुर्थी से जुड़ी पौराणिक कथाएं भगवान गणेश की उत्पत्ति और उनके महान कार्यों को दर्शाती हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से गणेश को जन्म दिया और उन्हें अपना द्वारपाल नियुक्त किया। जब भगवान शिव घर लौटे और प्रवेश करना चाहा, तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया, क्योंकि उन्हें देवी पार्वती का आदेश था। भगवान शिव ने क्रोध में आकर गणेश का सिर काट दिया । इस घटना से देवी पार्वती अत्यंत दुःखी और क्रोधित हो गईं। उन्हें शांत करने के लिए भगवान शिव ने गणेश को जीवनदान दिया और हाथी के सिर को उनके शरीर पर लगाकर पुनर्जीवित किया। तभी से भगवान गणेश को हाथी के सिर वाला देवता माना जाता है।
भगवान गणेश के संबंध में कहा गया हैं :
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
अर्थ: हे वक्रतुंड, महाकाय, सूर्य के समान तेजस्वी देव! कृपया मेरे समस्त कार्यों को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करें ।
यह श्लोक दर्शाता है कि भगवान गणेश सभी कार्यों में आने वाले विघ्नों को दूर करते हैं, इसलिए किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले उनकी पूजा आवश्यक मानी जाती है।
गणेश चतुर्थी का आध्यात्मिक महत्व भी बहुत गहरा हैं । भगवान गणेश को बुद्धि और विवेक का प्रतीक माना जाता है। उनका विशाल मस्तक ज्ञान और विवेक का प्रतीक हैं , जो जीवन के हर पहलू को गहराई से समझने की क्षमता को दर्शाता हैं । वहीं, उनकी छोटी आंखें ध्यान और एकाग्रता का प्रतीक हैं। उनकी लंबी सूंड यह बताती है कि हमे अपनी सूक्ष्म दृष्टि से भी सभी चीज़ों को गहराई से देखना चाहिए ।
“ॐ गं गणपतये नमः।”
यह मंत्र गणेश जी की आराधना के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। इस मंत्र का जप करने से बुद्धि की वृद्धि होती है, और आध्यात्मिक जागरूकता को बल मिलता हैं ।
भगवान गणेश का बड़ा पेट धैर्य, सहनशीलता और जीवन के हर पहलू को स्वीकारने की क्षमता का प्रतीक हैं । इसका यह भी संदेश है कि हमें अपने जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों का धैर्यपूर्वक सामना करना चाहिए और स्वयं को हर परिस्थिति में संतुलित रखना चाहिए।
धार्मिक दृष्टि से गणेश चतुर्थी का महत्व अत्यधिक हैं । भगवान गणेश को सभी देवी-देवताओं में पहला पूज्य माना जाता है। किसी भी पूजा, हवन या धार्मिक अनुष्ठान से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि उस कार्य में किसी प्रकार की बाधा न आए ।
संकटनाशनं गणेशं, विघ्नहर्ता नमो नमः।
सर्वकार्येषु सिद्धि यंतु, मंगलमूर्ति नमो नमः॥”
अर्थ: विघ्नों को नष्ट करने वाले गणेश जी को बार-बार प्रणाम। आपके आशीर्वाद से हर कार्य में सफलता और मंगल हो।
गणेश चतुर्थी के दौरान गणेश की मूर्तियों को बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ घरों और सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित किया जाता हैं । दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भक्तगण विधिपूर्वक पूजा करते हैं, गणेश जी की आरती करते हैं और भोग अर्पित करते हैं । इस अवधि में भक्त “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारों से वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं ।
गणेश चतुर्थी से जुड़ी एक और पौराणिक कथा महाभारत के लेखन से जुड़ी हैं । महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की, लेकिन उन्हें इसे लिखने के लिए एक लेखक की आवश्यकता थी । भगवान गणेश ने यह कार्य स्वीकार किया, लेकिन यह शर्त रखी कि वे बिना रुके लिखेंगे, और यदि वे रुके तो लेखन बंद हो जाएगा । इस पर महर्षि वेदव्यास ने भी शर्त रखी कि गणेश जी को बिना समझे कुछ भी नहीं लिखना होगा। इस प्रकार, भगवान गणेश ने महाभारत का लेखन किया और यह कथा उनकी बुद्धिमत्ता और श्रम शीलता को दर्शाती हैं ।
“श्रीमहा गणाधिपतये नमः।”
यह मंत्र भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा प्रकट करता हैं और उनकी कृपा से जीवन में सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा देता हैं ।
गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने, धैर्य रखने और विवेकपूर्ण निर्णय लेने की प्रेरणा देता हैं । यह पर्व हमारे भीतर श्रद्धा, भक्ति और सद्गुणों का संचार करता हैं । भगवान गणेश की पूजा हमें सिखाती है कि हर कार्य से पहले ध्यान, समर्पण और ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास होना चाहिए। पौराणिक कथाएं, आध्यात्मिक संदेश और धार्मिक प्रक्रियाएं इस पर्व को संपूर्ण और विशेष बनाती हैं ।
“सिद्धि विनायकाय नमः” के साथ भगवान गणेश की आराधना करने से हमारे जीवन के समस्त विघ्न दूर होते हैं और भगवान की कृपा से जीवन में नयी शुरुआत और सही दिशा प्राप्त होती हैं । आप सभी गणेश चतुर्थी पर्व की अनवरत बधाई एवं असंख्य शुभकामनाएं ।