कर्नाटक एग्री समिट में डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने कृषि सुधारों पर दिया जोर; सतत कृषि के लिए सम्मानित
*कर्नाटक एग्री समिट में डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने कृषि सुधारों पर दिया जोर; सतत कृषि के लिए सम्मानित*
जाजगीर-चापा,बेगलुरु के ताज वेस्ट एंड होटल में कल आयोजित कर्नाटक एग्री समिट के दौरान 25 सदस्यीय कर्नाटक कृषि परिषद का शुभारंभ किया गया। इसकी अध्यक्षता जियो-बायोटेक के प्रबंध निदेशक और बैंगलोर प्रबंधन संघ के अध्यक्ष श्री के. एस. नारायणस्वामी ने की। कृषि मंत्री श्री एन. चेलुवरायस्वामी ने इस परिषद का उद्घाटन किया और इसे राज्य की प्रमुख कृषि चुनौतियों और अवसरों, विशेषकर मिलेट, दाल, कॉफी, और मसाला प्रसंस्करण, निर्यात, स्टार्टअप्स, और कृषि में डिजिटल तकनीकों पर ध्यान देने के लिए कहा। बेंगलुरु, जो एग्रीटेक कंपनियों का केंद्र है, इन क्षेत्रों में अपार संभावनाएं प्रदान करता है।
इस शिखर सम्मेलन में डॉ. अशोक दलवाई, डॉ. एस.वी. सुरेशा (कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय, बेंगलुरु) और डॉ. सी. बिरादार (निदेशक, CIFOR) तथा इंडियन चैंबर आफ फूड एंड एग्रीकल्चर की अध्यक्ष डॉक्टर एमजी खान ने भी अपने विचार रखे। इस कार्यक्रम में 150 से अधिक विशेषज्ञों, अधिकारियों और सीईओ ने भाग लिया।
इस अवसर पर विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में अखिल भारतीय किसान महासंघ (AIFA) के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने मंच से भारत की कृषि की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। *”तमाम योजनाओं के बावजूद वास्तविकता यह है कि खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। पिछले दो वर्षों में 2 करोड़ किसानों ने खेती छोड़ दी है, और युवा इस घाटे वाले व्यवसाय में आना नहीं चाहते। यदि हमने मिलकर इस स्थिति को नहीं सुधारा—चाहे वह सरकार हो, उद्योग हो, वैज्ञानिक हों, या कृषि विश्वविद्यालय—तो 1.5 अरब की आबादी को भोजन कैसे मिलेगा?” डॉ. त्रिपाठी ने चेतावनी दी।*
उन्होंने कर्नाटक में AIFA की राज्य इकाई के गठन की घोषणा की, जो सरकार और किसानों के बीच एक मजबूत और सकारात्मक पुल के रूप में कार्य करेगी। यह इकाई कर्नाटक कृषि और खाद्य चेंबर के साथ मिलकर काम करेगी।
इस कार्यक्रम में बेंगलुरु के निकट ऑस्ट्रेलियन टीक के पेड़ों की छाया में औषधीय पौधों और खाद्य फसलों की नैसर्गिक मल्टीलेयर खेती करने वाले उच्च शिक्षित किसान विनय ओझा और नलिन गंडोत्रा को कर्नाटक स्टेट बेस्ट प्रोग्रेसिव फार्मर अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया। विनय ओझा ने बताया कि उन्होंने भारत और विदेश में कई वर्षों तक नैसर्गिक खेती की पद्धतियां सीखीं, और छत्तीसगढ़ के कोंडागांव स्थित “मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म्स एवं रिसर्च सेंटर” की मल्टीलेयर खेती और नैसर्गिक ग्रीनहाउस मॉडल से प्रेरित होकर इसे बेंगलुरु में अपनाया और सफलता प्राप्त की। उन्होंने तेलंगाना में भी इस पद्धति को सैकड़ों किसानों के साथ बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना बनाई है, जिसमें मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का हर संभव सहयोग रहेगा।
*डॉ. राजाराम त्रिपाठी को कर्नाटक के किसानों को नैसर्गिक खेती और वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करने के प्रयासों के लिए विशेष कैटेगरी में “सस्टेनेबल एग्रीकल्चर अवार्ड” से सम्मानित किया गया।”