प्रकृति के सानिध्य तथा सामीप्य प्राप्त करने श्रद्धालु भक्त आजकल सामूहिक रुप से मनवांछित स्थलों की यात्रा पर निकल जाते हैं
श्रद्धालु भक्तों ने चित्रकूट पहुंचकर दर्शन और पूजन किया ।
न्यूज़ जांजगीर-चांपा । प्रकृति के सानिध्य तथा सामीप्य प्राप्त करने श्रद्धालु भक्त आजकल सामूहिक रुप से मनवांछित स्थलों की यात्रा पर निकल जाते हैं । घूमने-फिरने के शौकीन लोग खूबसूरत वादियों, ऐतिहासिक इमारतों, प्राकृतिक नजारों के साथ सुप्रसिद्ध देवी-देवताओं के शरण स्थली की ओर जाना पसंद करते हैं । जांजगीर-चांपा जिला के जांजगीर के 27 श्रद्धालु भक्तों का एक दल चित्रकूट दर्शन कर लौटा हैं । इन श्रद्धालु भक्तों ने कामद गिरी में 05 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर छत्तीसगढ अंचल के लोगों की सुख, समृद्धि और शांति की प्रार्थना की । चित्रकूट के रामघाट में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा हस्तलिखित प्राचीन रामचरित मानस का दर्शन करने के बाद रामचंद्र जी के बालक स्वरुप आकृति नुमा माथे पर तिलक लगाकर प्रणाम किया । गौरतलब तलब हैं कि इसी स्थान पर गोस्वामी तुलसीदास जी को भगवान श्री रामचंद्र जी ने बालक स्वरुप में दर्शन दिया था । इसके पवनपुत्र हनुमान जी तोता का दोहा उच्चारण कर तुलसीदास जी को राम का दर्शन कराया । फिर इसके बाद टोली ने तुलसीदास जी के जन्मस्थली गांव राजापुर जाकर विश्व प्रसिद्ध महान ग्रंथ रामचरित मानस लिखा था , यह ग्रंथ आज भी दर्शनीय हैं और उनके वंशज इस अमूल्य धरोहर की रक्षा कर रहे हैं । कामदगिरि की परिक्रमा करते हुए कामतानाथ की शिलाएं और जगह-जगह देवी-देवताओं को भाव-विभोर होकर पवित्र भाव से गिरीराज की शिलाओं को साक्षात् भगवान शिव मानकर माथे से लगाएं । हनुमान धारा,
स्फटिक शिला, वाल्मीकि आश्रम, भरत मिलाप स्थल , भरतकूप, जानकी कुंड, जल प्रपात, सती अनुसूया दर्शन, दंतेवाड़ा मंदिर, राम दरबार दर्शन और पूजन कर गुप्त गोदावरी के प्रवाहित नदी में स्नान किए। इस सुखद यात्रा में मुख्यतः राजेश पालीवाल ,मनोज कालू अग्रवाल , पुरुषोत्तम शर्मा , पवन अग्रवाल , व्यास नारायण कश्यप , धनराज गट्टानी , संजय भोपाल पुरिया , देवेश बसाईवाल कमल बसाईवाल सहभागी रहे । साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने कहा कि आज़ की भाग-भाग और ढर्रे वाली जिंदगी से निजात पाने लोग सामूहिक रूप से पर्यटन स्थल की ओर निकल पड़ते हैं । एक समय ऐसा भी था जब लोग अंतिम पड़ाव में तीर्थ यात्रा निकलते थे लेकिन आज़ हर उम्र के लोग तीर्थ यात्रा और पर्यटन स्थलों की ओर रवाना हो रहे हैं । एक प्रकार से देखा जाए तो आजकल तीर्थयात्रा भी एक तरह का पर्यटन हो गया हैं । सामूहिक पर्यटन स्वस्थ जीवनशैली को बेहतर बनाते हैं ।